मोहम्मद अरमान, उनाव बालाजी
दतिया। दतिया जिले से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित उनाव बालाजी का प्रसिद्व तीर्थस्थल है जहां देश के कई शहरों से लोेग दर्शन करने पहुंचते है। वैसे से तो उनाव बालाजी एक छोटा सा कस्बा है लेकिन भगवान भास्कर की नगरी होने की वजह से देश में प्रसिद्व है। यहां सूर्य भगवान का मंदिर है। यहां दूर दूर से श्रद्वालु आते है। ऐसा माना जाता है कि यहां से निकली पहुज नदी में नहाने से बीमारी ठीक हो जाती है।
प्रसिद्ध तीर्थस्थल उनाव बालाजी में इन दिनों घाटों की हालत देखकर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भारी निराशा हो रही है। पवित्र पहुज नदी के घाट पर फैली गंदगी और नदी में चल रही अवैध पनडुब्बी की गतिविधियाँ धार्मिक और प्राकृतिक दोनों ही दृष्टियों से चिंताजनक हैं।
हालाकि अभी जिले में चल रही खनिज विभाग की कार्यवाही के चलते उनाव में भी कार्यवाही की गई थी और अवैध पन्नडुब्बी को जलाकर नष्ट किया गया था। जिसके बाद फिलहाल पनडुब्बी नजर नही आ रही है। लेकिन मन में विचार भी आ रहे है कि यह कार्यवाही कब तह चलेगी जिससे अवैध खनन करने वालों में खौफ रहेगा।
घाटों पर गंदगीः प्रशासन की अनदेखी (Dirt on the Ghats: Administration’s Ignorance)
उनाव बालाजी में सालभर लोगों का आना जाना रहता है लेकिन विशेष त्यौहारों पर उनाव बालाजी में काफी संख्या में भीड़ रहती है। चूकि उनाव में पहुज नदी निकली हुई है। बालाजी मंदिर परिसर और उससे लगे घाटों पर सफाई व्यवस्था का अभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
चारों ओर फैली गंदगी और कूड़े के ढेर न केवल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक गंभीर खतरा बन चुके हैं। इस स्थिति को देखकर लगता है कि स्थानीय प्रशासन की नजर इस ओर नहीं है और वे केवल एसी ऑफिस में बैठकर ही तनखा ले रहे हैं।
अवैध पनडुब्बी: कानून व्यवस्था की धज्जियां (Illegal submarine: Law and order violated)
नदी में अवैध पनडुब्बी का संचालन एक और गंभीर मुद्दा है। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था की विफलता का भी प्रतीक है। यह चिंतनीय है कि प्रशासन इन अवैध गतिविधियों को रोकने में असमर्थ साबित हो रहा है।
हालाकि जिले में खनिज विभाग की कार्यवाही चल रही है। जिसके चलते उनाव बालाजी में भी कार्यवाही की गई थी और अवैध चल रही पनडुब्बी को नष्ट किया गया था। खनिज विभाग की कार्यवाही इसी प्रकार चलती रही तो निश्चित ही अवैध उत्खनन करने वालों में खौफ बना रहेगा। और नदियां अपने अस्तित्व में बनी रहेगी।
नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी (Responsibility of citizens and social workers)
नदियों की इस दुर्गति के लिए स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। जब कई बड़े शहरों में नदियाँ सूख रही हैं और लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, तब भी हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति उदासीन बने हुए हैं। हमें इस बात का एहसास करना होगा कि नदियों की स्वच्छता और संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
हमे अपने घरों में बैठकर नही रहना है। और ना ही किसी का इंतजार करना है कि कोई करेगा तभी हम करेगें। एक जिम्मेदार नागरिक बनते हुये पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देगे। वही ऐेसे सामाजिक संगठन जो केवल फोटो खिचवाने में मस्त नही रहना चाहिये उनकी जिम्मेदारी बननी चाहिये कि वह भी इस ओर ध्यान दे और पर्यावरण संरक्षण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाऐं।
नगर भ्रमण पर निकलेगें बालाजी महाराज (Balaji Maharaj will go on a city tour)
आषाढ़ शुल्क एकादशी के दिन भगवान भास्कर पूरे गांव का भ्रमण करने निकलते है। यहां हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी रथ यात्रा निकाली जावेगी। जिसमें सैकड़ो व हजारों की संख्या में श्रद्वालु रथ यात्रा में शामिल होते है। तथा भगवान भास्कर की एक झलक पाने के लिये लोग आतुर रहते है। तथा नदी के घाटों पर पहुंचकर स्नान करते है।
ऐसे में नदियों के घाटों पर दुर्दशा ऐसी ही रही तो श्रद्वालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वही ऐसे कार्यक्रम को देखते हुये प्रशासन द्वारा नदियों की साफ सफाई कराई जाती है लेकिन उनाव बालाजी में ऐसा कुछ दिखाई नही दे रहा है।
समाधान की आवश्यकता (Solution needed)
इस स्थिति को सुधारने के लिए स्थानीय प्रशासन को तुरंत और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। घाटों की नियमित सफाई, अवैध गतिविधियों पर रोक और पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त कानून लागू करना अनिवार्य है। इसके अलावा, नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
यदि हम समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक गंभीर संकट बन सकता है। प्रशासन, नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता सभी को मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे ताकि उनाव बालाजी तीर्थ की पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखा जा सके।