आधुनिक युग में तकनीकी जीवन का हिस्सा – डॉ.जी.के. शर्मा

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(Rate of Technology In Criminal Traials)

दतिया। आधुनिक युग में तकनीकी जीवन का हिस्सा है, जैसे शिक्षा, परिवहन, भोजन वितरण, बिलों का भुगतान, खरीदारी, घर के काम करना आदि मामलों में प्रक्रिया को आसान एवं परेशानी मुक्त बनाने के लिये डिजिटीकरण किया जाता है। आपराधिक विचारणों में भी तकनीकी का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। अपराध काफी उन्नत हो गए है एवं नये-नये रूपों में हो रहे जैसा डेटा चोरी, हैकिंग, सायबर पुलिंग, रैसमवेयर और भी बहुत कुछ। तकनीकी ने सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाने, अपराधियों को पकड़ने आदि में बहुत मदद की है। लेकिन भविष्य में इसके नकारात्मक प्रभाव या विफलता की संभावना है। क्योंकि नई तकनीकी की प्रगति के साथ अद्यतन भी किया जाना चाहिए। यह बात जीवाजी यूनिवर्सिटी के सहा.प्रोफेसर डॉ.जी.के.शर्मा ने कॉलेज के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कही।

आपराधिक विचारण में तकनकी की भूमिका को अनेको प्रकार से स्पष्ट कर सकते है:-

निगरानी प्रणाली- जी.पी.एस. एक नेव्हीगेशन सिस्टम है। जो अपराधियों को खोजने में सहायक होता है। पुलिस के स्टिंग ऑपरेशन में यह सहायक होते है। लायसेंस प्लेट, स्कैडिंग अपराधिक जाँच में प्रयोग होने वाली नई निगरानी तकनीक है, जो पुलिस को यह जानने में सहायता करता है, कि वाहन चोरी हो गया है या ड्रायवर को वांरट जारी किया गया है।

सी.सी.टी.व्ही. कैमरे – यह व्यापक रूप् से उपयोग की जाने वाली तकनीकी है जो घटनाओं को रिकार्ड करने एवं संग्रहित करने में एवं संदिग्धों को गिरफ्तार (पकड़वाने में) कराने में सहायक है।

व्यापक डेटाबेस – रिकॉर्ड किऐ गऐ डेटा जैसे डी..एन.ए., उंगलियों के निशान और अन्य का प्रयोग आपराधिक विचारण में आमतौर में किया जाता है।

चेहरे की पहचान करने वाला सॉफ्टवेयर – यह तकनीकी चेहरे के डेटाबेस के विरूद्ध, डिजीटल साक्ष्यों द्वारा मनुष्य के चेहरों का मिलान करती है। यह Finger Priint, रेटिना स्कैन करके डेटा को सत्यापित करने से वर्तमान में कुशल तरीका है।

फॉरेंसिक:- Electronic Euidence  की जाँच Degital फॉरेंसिक द्वारा की जाती है। अपराधियों की पहचान करने में बायोमैट्रिक जैसे- हथेली के निशान, आँखों की पुतलियों की पहचान, फिंगर प्रिंट आदि में इसका उपयोग किया जाता है।

इलैक्ट्रॉनिक पहचान – पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान, मोबाईल नं., पैन, बैंक खाता नं., ड्रायविंग लायसेंस के द्वारा ही सानी से की जा सकती है।

दूरस्थ कार्यवहाी – आपसी सुनवाई और परीक्षण- बीडियो कॉन्फ्रेसिंग तकनीक का उपयोग अदालती कार्यवाहियों में दूरस्थ भागीदारी की अनुमति देता हैं यह कोविड-19 महामारी के दौरान अधिक क्रियाशील हुआ। लॉजिस्टिक चुनौतियों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है।

1885 के भारतीय टेलीग्राम एड के तहत सरकार को विशेष परिस्थितियों में निगरानी करने की अनुमति है। जिसमें कॉल इन्टसेप्शन का प्रावधान है। आई.टी. एक्ट 2000 सेेक्शन 43 और 66 हैकिंग, डाटा चोरी पर रोक लगाता है। केवल इंटेलिजेंस ब्यूरो, सी.बी.आई, एन.सी.बी., केन्द्रीय जॉंच ब्यूरो जैसी सरकारी एजेसिंयों के पास केन्द्रीय निगरानी प्रणाली द्वारा संग्रहित डेरा तक पहुंच हैं। यह जानकारी प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से निकिता यादव एलएल.एम. द्वितीय सेमिटर के द्वारा दी गई।

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