पण्डोखर धाम में क्षुद्र शक्ति निवारण अखाड़ा और बलि कुण्ड की स्थापना

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दतिया। पण्डोखर धाम पीठाधीश्वर श्री गुरुशरण जी महाराज के द्वारा सोमवार को पण्डोखर धाम स्थित हनुमान पंच अखाड़े के नजदीक ही क्षुद्र शक्ति निवारण अखाड़ा और बलि कुण्ड की स्थापना की गई।

श्री गुरुशरण जी महाराज के शिष्य एवं पंडोखर धाम ट्रस्ट के सचिव मुकेश कुमार गुप्ता (सागर) ने उक्त जानकारी देते हुए बतलाया कि भूत – प्रेत आदि बाधाओं से पीड़ित इंसानों के लिए पंडोखर धाम में पहले से ही हनुमान पंच अखाड़ा स्थापित है जिसमें प्रवेश करते ही पीड़ित व्यक्ति के ऊपर बिना किसी साधक , पंडित , पुजारी या ओझा की मदद प्राप्त किए भूत प्रेत आदि शक्तियां पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर आ जाती हैं। परिवारजन या साथ आए व्यक्ति इन शक्तियों से सवाल-जबाब कर सकते हैं।

इस अखाड़े में एक निश्चित समय पर ऐसी शक्तियों का स्वतः ही बंधन हो जाता है। उल्लेखनीय है कि कुछ नीच प्रवृत्ति की क्षुद्र शक्तियां होती हैं जो हनुमान पंच अखाड़े में प्रवेश नहीं कर सकती हैं परंतु निरंतर झूठ बोलती हैं , दारू अण्डा मुर्गा या बलि मांगती हैं उन पर नियंत्रण या उनके बंधन के लिए हनुमान पंच अखाड़े के नजदीक ही ष्क्षुद्र शक्ति निवारण अखाड़ाष् और ष्बलि कुण्डष् की स्थापना सोमवार को श्री गुरुशरण जी महाराज के सानिध्य में कर दी गई है।

यहां भी बिना किसी की मदद लिए भूत-प्रेत आदि शक्तियों से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर यह शक्तियां सवार हो जाती है जिनसे उनके परिवारजन संवाद कर सकते हैं। श्री गुरुशरण जी महाराज के द्वारा स्थापित इस अखाड़े में भी बुरी से बुरी और बड़ी से बड़ी शक्तियों का स्वतरू ही बंधन हो जाता है। पंडोखर धाम के मुख्य आचार्य पंडित उमाशंकर शास्त्री के निर्देशन में सहयोगी विद्वान आचार्यों के द्वारा क्षुद्र शक्ति निवारण अखाड़ा और बलि कुण्ड की स्थापना विधि विधान पूर्वक करवाई गई।

इस अवसर पर पंडोखर धाम ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्री सोनू शर्मा , सचिव मुकेश कुमार गुप्ता (सागर) , बी.के. बाजपेयी , राजू खरे , पंकज त्रिपाठी , शिवम तिवारी , शिशिर खरे , शिवम सिंह , रामजी शर्मा सहित सैकड़ों श्रद्धालू और भूत प्रेत आदि बाधा से पीड़ित अनेक व्यक्ति और उनके परिवार जन उपस्थित थे।

क्षुद्र शक्ति निवारण अखाड़ा और बलि कुंड की स्थापना होते ही भूत प्रेत आदि से पीड़ित अनेक महिला और पुरुषों के शरीर पर अचानक से शक्तियां आकर खेलने लगीं और पंडोखर धाम पीठाधीश्वर श्री गुरुशरण जी महाराज के आदेश देते ही सभी स्वतः शांत हो गईं।

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