भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉक्टर कौशिक हुए शामिल

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Dr Kaushik participated in the national workshop organized on Indian knowledge tradition

दतिया। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग एवं मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल द्वारा पण्डित कुंजीलाल दूबे स्मृति सभागार, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में सफल आयोजन किया गया।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में “भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में भौतिक विज्ञान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसमें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सिलेंस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय दतिया के भौतिकी शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुभाष चंद्र कौशिक को विषय विशेषज्ञ के रूप में तथा हिन्दी ग्रंथ अकादमी के पुस्तक लेखक व केंद्रीय अध्ययन मंडल , भोपाल के सदस्य के रूप में आमंत्रित किया गया ।

डॉक्टर कौशिक ने दूसरे दिन तकनीकी सत्र सत्र की अध्यक्षता करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सन्दर्भ में भौतिक विज्ञान विषय पर अपने विचार रखे एवं विमर्श ने बताया कि हम आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ – साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का भी समावेश भौतिकी विषय के पाठ्यक्रम में किस प्रकार से कर सकते हैं । डॉक्टर कौशिक ने बताया कि हमारे वेद पुराण तथा प्राचीन ग्रंथों में भौतिकी के सूत्र समाहित है , आवश्यकता केवल उनको यथास्थान पाठ्यक्रम में स्थान देने की है । ताकि छात्र आधुनिकता के साथ साथ हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा से भी अवगत हो सकें ।

यह समावेश इस प्रकार से होना चाहिए कि छात्र आज के आधुनिक तकनीकी ज्ञान से भलीभाँति ज्ञान अर्जित करने के साथ साथ प्राचीन ग्रंथों में समाहित सनातन ज्ञान को भी अपने जीवन में स्थापित कर सके।

Rani Durgavati University, Jabalpur

प्रथम दिवस के कार्यक्रम में हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक डॉक्टर अशोक कड़ैल , रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ राकेश वर्मा , भारतीय ज्ञान परंपरा के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर आलोक चटवाल , प्रोफ़ेसर लीलावती भलावी एवं भौतिक विज्ञान के विशेषज्ञ व भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलगुरु प्रोफ़ेसर संजय तिवारी जी भी उपस्थित रहे। कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में भारतीय ज्ञान परंपरा के परिप्रेक्ष्य में भौतिक विज्ञान विषय की सहभागिता प्राचीन से वर्तमान तक विकास एवं आधुनिक कालखंड में प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया गया ।

कार्यशाला के दौरान विषय विशेषज्ञों द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा तथा भौतिक विज्ञान पर व्याख्यान दिए गए । इस दौरान डॉक्टर कौशिक ने दूसरे दिवस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की तथा कोरोना के दौरान तैयार किए गए पाठ्यक्रम में हम किस प्रकार अपने सनातन ज्ञान का समावेश कर सकते हैं , उन बिंदुओं पर विचार प्रस्तुत किये ।

कार्यशाला में डॉक्टर रवि कटारे विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर डॉक्टर वर्मा शासकीय एम ए एच होम साइंस महाविद्यालय जबलपुर डॉक्टर आर एस गुप्ता प्राचार्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सतना, डॉक्टर गजेन्द्र कुमार सक्सेना प्राध्यापक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी , व मध्य प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक व ई- कंटेंट के निर्माता व आमंत्रित अतिथियों ने भी विमर्श में भाग लिया।

भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा (आई के एस ) मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक नवोन्मेषी कार्यक्रम है , जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के महाविद्यालयों में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यपुस्तकों में भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का आधुनिकता के साथ समावेश करना लक्ष्य है ।

यह कार्यशाला इसी लक्ष्य को देखते हुए भौतिक विज्ञान विषय को समर्पित थी । इस कार्यशाला के नोडल अधिकारी प्रोफ़ेसर राकेश वाजपेयी विभागाध्यक्ष रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर थे जिन्होंने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यशाला की भूमिका पर प्रकाश डाला। मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग व मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल द्वारा प्रत्येक विषय पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है ।

यह कार्यशाला भौतिकी विभाग को समर्पित थी। अन्य विषयों की कार्यशालाएं मध्य प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में निकट भविष्य में आयोजित कि जाऐगी ।

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