हाथी पांव रोगियों के लिए आयोजित हुआ शिविर

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Camp organized for elephantiasis patients

प्रभावित अंगों की देख-रेख में बरतें विशेष सावधानी: डॉ. तोमर

दतिया। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. जयंत प्रताप सिंह यादव के निर्देशन में चंदन सिंह दादौरिया सहायक मलेरिया अधिकारी की देखरेख में मलेरिया कार्यालय सभाकक्ष में फायलेरिया रोग (filariasis disease) यानि हाथीपांव की बीमारी से प्रभावित मरीजों के लिए रूग्णता प्रबंधन शिविर (मॉर्वीडिटी मैनेजमेंट कैंप) का आयोजन किया गया।

इस शिविर में हाथीपांव के रोगी शामिल हुए। शिविर में हाथीपांव रोगियों को प्रभावित अंगों की विशेष देखरेख के साथ ही रोग के कारण, बचाव और उपचार के संबंध में भी जानकारी प्रदान की गई। शिविर में डॉ. देवेन्द्र तौमर राज्य स्तरीय सलाहकार, डॉ. आई.के. दोहरे मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी भाण्डेर, डॉ. बी.के. उज्जैनियां मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी उनाव, डॉ. अरूण कुमार शर्मा मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी इंदरगढ़, डॉ. राहुल चउदा जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डॉ. मोहन सिंह राजपूत चिकित्सा अधिकारी सिटी डिस्पेंसरी दतिया, श्री प्रमोद मिश्रा मलेरिया निरीक्षक के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ ही लगभग 20 रोगी शामिल हुए।

डॉ. तोमर हाथीपांव रोगियों को समझाया कि आप सभी को अपने प्रभावित अंगों की विशेष देख-भाल करनी होगी। जिससे कि प्रभावित अंगों में किसी तरह का कोई अन्य इन्फैक्शन उत्पन्न ना हो। यदि ऐसा होता है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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डॉ. तोमर ने रोगियों को बताया कि फायलेरिया ऐसी बीमारी है कि जब किसी व्यक्ति के शरीर में किसी अंग को एक बार प्रभावित कर लेती है तो फिर मरीज को जीवन पर्यन्त उस बीमारी के साथ ही अपनी जिन्दगी बितानी होती है। इसलिए आप सभी अपने आस-पास रहने वाले व्यक्तियों को इस बीमारी के संबंध में आगाह कर उन्हें फायलेरिया की दवा साल में एक बार जरूर लेने की सलाह दें। आपकी यह सलाह किसी व्यक्ति को फायलेरिया रोग से होने वाली अपंगता से बचा सकती है।

उन्हांेने आगे बताया कि रोगियों को अपने प्रभावित अंगों की हल्के हाथों से साफ-सफाई करनी है। आपकी त्वचा रूखी ना हो इसके लिए समय-समय पर तेल का इस्तेमाल हल्के हाथों से प्रभावित अंगों पर करते रहना है, इससे आपकी त्वचा मुलायम बनी रहेगी और त्वचा में दरारें नहीं पड़ेगीं। इसके अलावा प्रभावित हाथ या पैर में टाईट कपड़े कभी ना पहने, क्योंकि प्रभावित अंग पर घाव हो सकते हैं। रोग प्रभावित पैरों में जूते का इस्तेमाल भी बड़ी सूझ-बूझ के साथ करना है।

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शिविर में उपस्थित हाथीपांव रोगियों में से एक रोगी के पैर की साफ-सफाई कर बताया गया कि हल्के हाथों से साबुन की मदद से पहले साफ करना है। फिर उसे नरम तौलियां से सुखाना है। इसके बाद प्रभावित अंग को तेल या एंटीसेप्टिक क्रीम की मालिस करनी है।

अंत में डीएमओ डॉ. यादव, राज्य सलाहकार डॉ. तोमर के साथ सहायक मलेरिया अधिकारी श्री दादौरिया ने शिविर में उपस्थित हुए रोगियों को अंगों की देखभाल के लिए किट प्रदान की। जिसमें एक तसला, मग, तौलिया, साबुन, क्रीम और तेल की शीशी शामिल थी। इसके साथ ही रोगियों को भोजन के पैकेट के साथ ही आने-जाने का किराया भी प्रदान किया गया।