दंड नहीं बल्कि न्याय केन्द्रित हैं तीनों नए कानून

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नए कानूनों के संबंध में मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला आयोजित

All three new laws are focused on justice and not punishment

कृष्णकांत दौहरे
इछावर/ सीहोर। देशभर में एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह भारतीय न्याय संहिता (Indian Judicial Code) क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (Criminal Procedure Code) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) (Indian Civil Defence Code) और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) लागू हो चुका है। नए कानूनों के संबंध में मध्यप्रदेश पुलिस सीहोर द्वारा जिला पंचायत सभाकक्ष में प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में पुलिस एवं जिला प्रशासन के अधिकारी एवं अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा पत्रकार उपस्थित रहे।

विशेष पुलिस महानिदेशक विजय कटियार ने कहा कि इन तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। उन्होंने कहा कि ये कानून दंड नहीं बल्कि न्याय केन्द्रित है। कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक श्री अभय सिंह, पुलिस उप महानिरीक्षक ओपी त्रिपाठी, कलेक्टर प्रवीण सिंह,एसपी मयंक अवस्थी ने नए कानूनों के बारे में विस्तार से बताया।

महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान (Special provisions for women and children)

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं। प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों से संबंधित है। इन प्रावधानों के अनुसार जहां बच्चों से अपराध करवाना व उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल की जाएगी।

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नाबालिग से गैंगरेप किए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। नए कानूनों के अनुसार पीड़ित का उसके अविभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज किया जा सकेगा। इसी प्रकार नए कानूनों में महिला अपराधों के संबंध में अत्यंत सख्ती बरती गई है। इसके तहत महिला से गैंगरेप में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास, यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा। साथ ही पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में ही बयान दर्ज करने का भी प्रावधान है।

इस प्रकार नए कानून में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध घटित करने वालों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में कड़ी सजा के प्रावधान हैं। कार्यशाला में अपर कलेक्टर श्री वृंदावन सिंह, एएसपी श्री गीतेश गर्ग सहित सभी राजस्व एवं पुलिस अधिकारी, सभी विभागों के जिलाधिकारी उपस्थित थे तथा अनुभाग स्तर के अधिकारी विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यशाला में उपस्थित रहे।

नए कानूनों में खास (special in the new laws)

अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैजेस को शामिल किया गया है। केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी। अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी न्यायालयों में पेशी हो सकेगी। अब 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय देना होगा। वहीं सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है।

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इसी प्रकार छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। नए कानूनों में पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम रखी जाने व एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत का प्रावधान है। साथ ही किसी भी शिकायतकर्ता को 90 दिन में जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी।

नए कानूनों से होने वाले लाभ (Benefits of the new laws)

ई-एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे। नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है। यानी वे पेनड्राइव में अपने बयान की कॉपी ले सकेंगे। इस प्रकार नए कानूनों में आमजन को बहुत सारे लाभ प्रदान किए गए है।

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