जलवायु परिवर्तन कर रहा प्रहार : भारत में गर्मी से हाहाकार

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Heat wave in India

Climate change is hitting : भारतवासी फिलहाल गर्मी के तीव्रतम मौसम का सामना कर रहा हैं। देश की राजधानी समेत कई क्षेत्रों में तापमान (temperature) लगातार 50ºC के आस पास हो रहा है। दिल्ली के मुंगेशपुरी इलाके में तो तापमान 52.3ºC दर्ज किया गया, जिसने 2002 के 49.2ºC के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। मुंगेशपुरी में दर्ज इस तापमान की आधिकारिक जांच और पुष्टि अभी भी की जा रही है। इस बीच अधिकारियों ने संभावित पानी की कमी और बिजली कटौती की भी चेतावनी दी है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Impact of climate change)

मुख्य रूप से फ़ोस्सिल फ़्यूल के जलने से प्रेरित जलवायु परिवर्तन, हीट वेव (heat wave) की फ्रीक्वेन्सी और तीव्रता को गंभीर बना रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के साझा प्रभावों के कारण शहरी क्षेत्र विशेष रूप से असुरक्षित हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की रिपोर्ट है कि हर 10 साल में एक बार आने वाली गर्मी की लहरें अब 2.8 गुना अधिक बार आ रही हैं और 1.5ºC अधिक गर्म हैं। कार्बन एमिशन में उल्लेखनीय कमी के बिना, ये अत्यधिक गर्मी की घटनाएँ और भी आम हो जाएँगी।

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स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ (Health and Safety Concerns)

इस अत्यधिक गर्मी ने पूरे भारत में स्कूलों को गर्मियों के लिए जल्दी बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। कम से कम 37 शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया है, जिसमें गर्मी से संबंधित बीमारियों की संभावना अधिक है। रात का तापमान भी खतरनाक रूप से लगभग 36 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है जिससे लोगों को रात में भी राहत नहीं मिल पा रही है। मार्च 2024 से, हीटस्ट्रोक के 16,000 से अधिक मामले और हीट से संबंधित 60 मौतें दर्ज की गई हैं, हालाँकि वास्तविक संख्याएँ अधिक होने की संभावना है।

उच्च तापमान और आर्द्रता का संयोजन गर्मी को विशेष रूप से खतरनाक बनाता है, जिससे हीटस्ट्रोक और अन्य गंभीर स्थितियों का जोखिम बढ़ जाता है। शहरी क्षेत्र अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं, जिससे हीटवेव का प्रभाव बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों की राय (Opinion of experts)

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने इस बात पर जोर दिया कि हीटवेव भारत की भलाई के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। उन्होंने स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और आजीविका पर अत्यधिक गर्मी के प्रभावों को कम करने के लिए तेजी से विकासशील शहरों में जलवायु लचीलापन बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया।

इंपीरियल कॉलेज लंदन की डॉ. फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि भारत में अत्यधिक गर्मी जलवायु परिवर्तन के कारण और भी बदतर हो गई है, जो जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों की कटाई के कारण होता है। उन्होंने बढ़ती गर्मी और बढ़ती मृत्यु दर को रोकने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के डॉ. कृष्ण अच्युता राव ने मानव उत्सर्जन और तीव्र गर्मी के बीच सीधे संबंध पर प्रकाश डाला, और तत्काल अनुकूलन उपायों का आह्वान किया।

स्काईमेट वेदर के महेश पलावत ने बताया कि अल नीनो जैसी प्राकृतिक घटनाएं तापमान में उछाल ला सकती हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने स्थिति को काफी खराब कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक वैश्विक तापमान को नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक इसी तरह की अत्यधिक गर्मी की घटनाएं और भी अधिक बार होंगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के डॉ. अक्षय देवरस ने कहा कि इस साल की गर्मी स्थिर मौसम पैटर्न और अल नीनो के प्रभाव के कारण विशेष रूप से घातक है। उन्होंने पुष्टि की कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हीटवेव की आवृत्ति, तीव्रता और अवधि बढ़ रही है।

सुरक्षात्मक उपाय (Protective measures)

विशेषज्ञ सीधे धूप से बचने, हाइड्रेटेड रहने और छाते और बार-बार पानी पीने जैसे ठंडे उपायों का उपयोग करने की सलाह देते हैं। वे तापमान में अचानक बदलाव के खिलाफ भी सलाह देते हैं, जैसे कि वातानुकूलित कमरों से गर्मी में जाना।
भारत में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी कमजोर आबादी की रक्षा और भविष्य में गर्मी से संबंधित आपदाओं को रोकने के लिए जलवायु कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाती है।