आनंद की बरसात हुई काव्य संध्या में – डॉ.आलोक सोनी

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वीरेंद्र त्रिपाठी के नवीन आवास पर हुई भव्य काव्य संध्या

There was a shower of joy in the poetry evening - Dr. Alok Soni

दतिया। साहित्यक जीवन में बरसते पानी के बीच लाईट की लुका छिपी में कवियों ने शानदार व जानदार उत्कृष्ट रचनाओं का पाठ करके मन प्रफुल्लित कर दिया।

वीरेन्द्र त्रिपाठी बहुत अच्छे कवि हैं आनंद की बरसात हुई काव्य संध्या में उक्त विचार वीरेन्द्र त्रिपाठी के गामा अखाड़े के पास नवनिर्मित भवन पर आयोजित काव्य संध्या में मुख्य अतिथि की आसंदी से अंतरराष्ट्रीय मदरटेरेसा विशिष्ट समाजसेवा सम्मान से सम्मानित राष्ट्रवादी विचारक डॉ.आलोक सोनी ने व्यक्त किए ।

अध्यक्षता बुन्देली के सशक्त हस्ताक्षर डॉ.हरिकृष्ण हरि ने क विशिष्ट अतिथि के रुप में गीतकार महेश लाक्षाकार उपस्थित थे। काव्य संध्या का कुशल संचालन सुप्रसिद्ध कवि प्राचार्य डॉ.राजेन्द्र सिंह खेंगर ने किया। सरस्वती वन्दना कवि सुन्दर लाल श्रीवास्तव ने प्रस्तुत की उन्होंने कविता पाठ करते हुए कहा – जब से गये विदेश सईया, अब मन लगत कछु में नईया ,भरपूर सराही गई ।

अमर सिंह दिनकर ने कहा – कबहु उजेरे में ,कबहू अंधेरे में । दिनकर भंसे ये फेरे में । विशिष्ट अतिथि महेश लाक्षाकार ने कहा – सागर की गहराई में मन का लगता नहीं पता साहित्यक रचना ने आनंद की बरसात कर दी। कवि सुघर सिंह रावत ने कहा – बादल हूं धरती की सारी प्यास लिए फिरता हूं तो वही अल्ताफ हुसैन ने गजल सुनाते हुए कहा‌ – दिल की हर आरजू नाकाम हुई जाती है भरपूर सराही गई ।

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सुप्रसिद्ध कवि डॉ. राज गोस्वामी ने कहा – एक ज्वेलर्स की पत्नी से हमने परिवार का हाल जाना , भरपूर सराही गई , अवधेश योगी ने कहा – जीवन की सच्ची राह हर पल तुमको बुला रही है आनंदित कर गई ।

सुप्रसिद्ध कवि राजेंद्र शुक्ला ने व्यंग्य रचना पढ़ते हुये कहा – बिजली का होने लगा अब मधुर शोर, हावी अब होने लगे डाकू लुच्चा चोर, भरपूर तालिया बजवाई। कवि वीरेंद्र त्रिपाठी विकास ने रचना सुनाते हुए कहा – हिंदी हिन्दुस्थान की ,दुनिया में यह भाषा है,

तो वही डॉ.राजेंद्र सिंह खेंगर ने कहा कि ये कलम तुझे में नमन करूं बेहतरीन रचना पाठ किया। प्रसिद्ध कवि डॉ. हरिकृष्ण हरि ने कहा- मैं तो बैठा था चुप रहकर , तुम कहते हो कविता पढूं । आभार शत्रुघ्न दीक्षित ने व्यक्त किया।

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